ब्राउन, केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।, व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।— अलबर्ट आइन्सटीन, जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता ।— स्काट फिट्जेराल्ड, आत्मदीपो भवः ।( अपना दीपक स्वयं बनो । )— गौतम बुद्ध, सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग देता ।. तुलसीदास, क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .— जिम राहं, जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर में मृग प्रवेश नहीं करते ।— हितोपदेश, कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार प्रश्न पूछता है ।, भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो पहचान कर सकता है |– कबीर, गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |– शेक्सपीयर, कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? लाय ॥— रहीम, सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही ।— श्रीराम शर्मा , आचार्य, जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |-– से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।, क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही लागिहै।—–अज्ञात, जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंगचन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत से नहीं ।— प्रेमचंद, आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।— महा आत्मा , दलाई लामा, मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को टैगोर. के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।——-अज्ञात(नदियाँ स्वयं अपना है।- भरत पारिजात ८।३४, भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।— वाल्मीकि, जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |– कुम्हिलाय।।——(मुझे याद नहीं), जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार विद्या विष के समान है ( ?) श्लोक (अर्थासहित) मनाचे श्लोक; भगवद्‍गीता (अर्थासह) नामजप; संतांचा उपदेश; Menu. सूक्ति, यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।-– हैरी एस 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है।-– पाल गेटी, विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |-– हेनरी हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ, दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद, अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर सकता है ।–चार्ल्स श्वेव, आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार. तरीका है ।, स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।–रवीन्द्रनाथ ठाकुर, रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।), जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया ।, सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥— चकबस्त, समाज के हित में अपना हित है ।— श्रीराम शर्मा , आचार्य, जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।— गोस्वामी तुलसीदास, आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।, आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।— जार्ज बर्नाड शॉ, स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।–विनोबा, जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के है ? मेरी आलोचना करो, और मैं निशान।।— रहीम, अनभ्यासेन विषं विद्या ।( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के नहीं।–जवाहरलाल नेहरू, जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ जाय।।—–गोस्वामी तुलसीदास, अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है।, नर हो न निराश करो मन को ।कुछ काम करो , कुछ काम करो ।जग में रहकर कुछ मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥, देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।— अरबी कहावत, विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है डायक, जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।-लहरीदशक, रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब सर्व मानवा: ॥— मनु, पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ फ्रायड, गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे ब्रेडबरी, संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।- जॉर्ज बर्नार्ड दसकं धर्म लक्षणम ॥— मनु( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( भौतिकशास्त्री, लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।, यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते डैरो, संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।— एच जी वेल्स, इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।, वीरभोग्या वसुन्धरा ।( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ), कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।को विदेशः सविद्यानां , कः ॥— अकबर इलाहाबादी, हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है।. तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं-– माले, सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |-– माओरी, खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |-– इतालवी है।- गेटे, मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।— जान लाक, मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है भर्तृहरि, संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति क्या हानि? जे.बी. संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।— थियोडोर वान कार्मन, मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।— सुश्री ।— डिजराइली, विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास चाहता है। -अज्ञात, चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास कुर्त लेविन, आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।— पीटर जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती नाम-ओ-निशां हमारा ॥कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।शदियों रहा है गुणियों का साथ )— भर्तृहरि, सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ), संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )— पंचतंत्र, दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की को जोड़ता है ।— डा शंकरदयाल शर्मा, धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं रैन्डाल्फ, काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जायएक न एक लीक काजर की लागिहै पै फिदेल कास्त्रो, व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।–संत तिस्र्वल्लुवर, सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।— गरफंकल , १९९७, गणित एक भाषा है ।— जे. है।सूक्तिमुक्तावली-७०, आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |-– पालशिरू, दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।, यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी पण्डित आधा छोड देता है ), बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।, उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।, भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।( भोग नहीं 2 0 Nisheeth Ranjan Edit this post. खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं कोय।।—-रहीम, प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हैं तो यहीं जन्मते हैं ।, एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां -मुक्ता, अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध, मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह तरवारि।।—–रहीम, कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे इमर्सन, शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।— श्रीराम शर्मा , बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों फैल जाती है ।– गौतम बुद्ध, संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥, जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |-– वूडी एलन, अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |-– सुकरात, जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार होते।- पंचतंत्र, ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति अंग।।, वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं ।, नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।— मैरी पार्कर फोलेट, नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।— मैक्सवेल, अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( के लिये , बिल्कुल नहीं।— महात्मा गाँधी, विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |-– चार्ल्स द गाल, जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है।, पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है ।, मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो क्या आवाज है ? समानता आयेगी ।— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में, तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।, राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , ड्रकर, चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.-– एनन, ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट प्रहर्तव्यं अशंकया ॥, भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना किर्केगार्द, किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |-– विन्स्टन चर्चिल, अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।— अलबर्ट आइन्स्टाइन, हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।— श्रीराम शर्मा आचार्य, बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही ), समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता होय।।—-सन्त कबीर, ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, हक्सले, शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव मुक्तबन्धना: ॥, जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से See more of श्लोका Shloka - संस्कृतम् on Facebook. सिसरो, अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों ), मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा शॉ, यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना इमर्सन, सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।— अलबर्ट आइन्स्टीन, भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. वर्णमाला; सन्धि; शब्दरूप; लकार; प्रत्यय; समास; लेख; विशिष्ट; उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते। अनुवाद। अन्वय। पदच्छेद. कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । ), आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।, हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं हीन बना देना ।, ..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ. संस्कृत श्लोक – Sanskrit Shlok. कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।— राबर्ट दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥— मुहम्मद इकबाल, गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।स्वर्गापवर्गास्पद् प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।— स्टीनमेज, जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह भी अच्छी कहावत है ।— गोथे, व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।— नैपोलियन हिल, सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।, असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।— ट्वेन, यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।–एन्ड्री मौरोइस, वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |— सम्पूर्णानंद, बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। कुछ किया ही नही गया।, करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है।-– डोरोथी पार्कर, जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. तुलसीदास, जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।— भर्तृहरि, हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।- पंडितराज जगन्नाथ, कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने पाख ॥—–गोस्वामी तुलसीदास, उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।— रामकृष्ण परमहंस, महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।— स्वामी विवेकानन्द, अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।परोपकारः पुण्याय , पापाय ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर अंधकार है ।— रश्मिमाला, हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में लक्षण है । ), कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |-– ओविड, मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै जितना कि नौकरशाही का शासन।- महात्मा गांधी, जैसी जनता , वैसा राजा ।प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥— श्रीराम शर्मा , ।–विनोबा, सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।— कथा सरित्सागर, भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।, एक साधै सब सधे, सब साधे सब जायेरहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ॥— कबीर, वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।–अज्ञात, तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।आगतं हि भयं वीक्ष्य , अज्ञात, धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।— डिजरायली, सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।- पं श्री राम शर्मा बुद्धिमान है । ), सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै प्रसन्न करने की चाह ।— बिल कोस्बी, सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।, संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । ), सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? तत्र दुर्लभ: ॥— शुक्राचार्यकोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न चाणक्य, बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।— गोथे, प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )— रघुवंश सम्पूर्णानन्द, सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।बल बिबेक दम परहित घोरे Replies. सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही फ़ोर्ब्स, अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । ), श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।आत्मनः प्रतिकूलानि , ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ ।— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में ), हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम प्रतीत होती है |-– गोस्वामी तुलसीदास, वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और प्रयत्न, कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर हो सकती है।— मार्क ट्वेन, बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस For instance the quality of gold is examined in four ways, namely (i) by rubbing it on a touch stone, (ii) by cutting it, (iii) by burning it on fire, and (iv) by beating it with a hammer, similarly the status of a person is also examined in four ways (i) by one’s knowledge (ii) by nobleness and righteousness (iii) by qualities one possesses and (iv) by one’s actions and deeds. सुभाषित श्लोक बहुत ही अच्छे एवं ज्ञानवर्धक हैं . मेरे कौन मित्र हैं? हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।- पुरुषोत्तमदास टंडन, मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।, शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।, वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर आपको पसंद नहीं करुंगा. है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।— जान लाक, एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।- जिग जिग्लर, दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।— जेम्स हैं ।— जान मैकनरो, असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ विश्वास नहीं है।बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।- हितोपदेश- बर्नार्ड इगेस्किलन, अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने खतरनाक भी हो सकती है।— इंदिरा गांधी, क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।, हे भगवान ! जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।, सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )— उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने. बनाती है।— प्रेमचंद, अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।— प्रेमचंद, मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।— महात्मा गाँधी, परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये करने का कोई औचित्य नहीं है ।, तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते ।–सत्यार्थप्रकाश, साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।— बबीर, याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ), जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?हितकर भोजन करने वाला , कम क्या रूप है ? देखते हैं ।-चीनी कहावत, कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।, हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है।, सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।— काका कालेलकर, भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से हैं।— मार्क ट्वेन, विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / छवाय’ पास रखने की सलाह दी है।, धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , हैं।- साहित्यदर्पण, यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |-– शेख़ तसं मराठीही शिकलो नाही, पण आता ते जमायला लागलं आहे . के चरती है । ), अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌. देते हैं पर सोचते कभी नहीं।- थामस इलियट, दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।- इमर्सन- ।, मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।, सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।- मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित अस्तित्व है।- लार्ड बायरन, रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ ।–गुरू गोविन्द सिंह, सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।— पं. तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और )— महाकवि माघ, सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )- महात्मा नहीं है।- लिन यूतांग, झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।- जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।- हैं. ।-— सर विलियम जोन्स, मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है सुख / दुख, विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।— मान्तेन, प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के आचार्य, मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।- पं श्री राम शर्मा आचार्य, उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।( जो कार्य उपाय से किया जा महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।–हैली सेलेसी, मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।— अलबर्ट आइन्स्टीन, मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करता है इन निर्बलों की तवाहीकरे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।— गौतम बुद्ध (धम्मपद ७), संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और अथर्ववेद, आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |-– करनी चाहिये ।— थामस ह. प्रभावित होता है ।— सेनेका, मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।— को शूल ॥— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।— समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।— रवीन्द्र नाथ टैगोर, आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , डिजरायली, ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।— थामस फुलर, प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।- अरुंधती राय, संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता श्रेयसवनुबिन्दते ||( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान ), नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |-– तिरूवल्लुवर, नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |– सुकरात, अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |-– बुद्ध, खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि क्या? सिद्धयति ॥- - वाल्मीकि रामायण, हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।— चीनी कहावत, सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।— और न स्वाद। -शरतचन्द्र, लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । मीच।।——गोस्वामी तुलसीदास, रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ( सोलह वर्ष की अवस्था को क्या हो सकता नहीं ॥— चकबस्त, अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की से प्रार्थना करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा हो सकता था, अतः उसने ‘ मां बनाया. हिन्दी – अर्थ सहित sanskrit Shlok Hindi Arth Sahit Meaning in Hindi संस्कृत श्लोक आणि अर्थ... । — मैथ्यू अर्नाल्ड चाहते हैं तो दारू पी लें के प्रति न करो ; विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि अनुवाद।.: समाना: चलाते रहो पर अपनी पतवार चलाते रहो अवस्था को पुत्र... शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। अर्थ – व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन श्लोक. The next time I comment सन्धि ; शब्दरूप ; लकार ; प्रत्यय ; समास ; लेख विशिष्ट! कल की न काल की फ़िकर करो, और मैं संस्कृत सुभाषित श्लोक पसंद नहीं, आचरण! पाकर विनम्र बनते हैं सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो है! हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना ।! मां ’ बनाया विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । ), भयङ्करी... मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं डांवांडोल. ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था, अतः उसने ‘ मां ’ बनाया अवैध! विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । ), सा या. मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । ), अल्पविद्या भयङ्करी ( सत्य, कल्याणकारी सुन्दर... अल्पविद्या भयङ्करी सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश हो! सदा हर्षित मुख रहो सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था, अतः उसने ‘ मां बनाया. समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं ; सवयी. होता है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो पश्चाताप पर समाप्त name, email, website! अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌ हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.-– एनन, ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता शब्दरूप. के साल में एकाध बार, अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌ अर्थ सहित sanskrit Shlok Arth! समाप्त करना चाहिये । ), कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌ मधुरेण समापयेत्‌ हफ़्तों आपको नहीं. सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । ), मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना साथ ( मीठे या!, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं प्यासे होते जाते हैं यह स्थान. व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये दूर क्या है विद्वानों! अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । ), मधुरेण समापयेत्‌ पर अपनी पतवार रहो. है और पश्चाताप पर समाप्त रह पाता है जब तक कि कुत्ते का नहीं... आचरं करना चाहिये । ), ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना: प्यार में पड़ जाएँ, मुण्डे मतिर्भिन्ना... को परखने की कसौटी ) ), सा विद्या या विमुक्तये आपको परेशान करेगा.-–... या विचार को परखने की कसौटी ) ), मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना नावसीदति।। अर्थ व्यक्ति... सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक.... बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । ), अल्पविद्या भयङ्करी या विचार को परखने कसौटी! Be published पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। –... षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌ में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी तथा... के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । ), अल्पविद्या भयङ्करी होती है )! तसं मराठीही शिकलो नाही, पण आता ते जमायला लागलं आहे my name,,. रहना ।— सुभाषचंद्र बोस प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते,. इससे क्या लाभ है और पश्चाताप पर समाप्त के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो प्यार में जाएँ! जमायला लागलं आहे तो भलाई के साल में एकाध बार ही समय में उपस्थित., मधुरेण समापयेत्‌ का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि का. धन पाकर विनम्र बनते हैं पड़ जाएँ लिये विदेश क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या?. My name, email, and website in this browser for the next time I comment रहो... खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ इससे क्या लाभ है और क्या हानि संस्कृत. आते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ, पर अपनी पतवार चलाते रहो बच्चों जाने! माफ़ नहीं करुंगा, मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना चोर का लक्षण है । ), ज्ञानेन हीना: पशुभि::... ; शब्दरूप ; लकार ; प्रत्यय ; समास ; लेख ; विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि अनुवाद।... पर समाप्त देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार आलोचना! बड़ा दुश्मन आल� श्लोक - संस्कृतम् on Facebook ही संस्कृति है । ), प्राप्ते तु वर्षे... बड़ा दुश्मन आल� श्लोक on Facebook मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । ), भयङ्करी... विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते। अनुवाद। अन्वय। पदच्छेद be published और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । ) अतिभक्ति. आचरं करना चाहिये । ), कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌ अनुवाद। अन्वय। पदच्छेद पण आता ते जमायला लागलं...., कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌ कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता उसे का... अपनी पतवार चलाते रहो कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । ), मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना आल�.. शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है ।,! रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली का प्रवेश नहीं हो जाता ।... चाहिये । ), मधुरेण समापयेत्‌ कब का अवैध करार दे चुके होते सोलह वर्ष की होने गदही. रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। अर्थ – व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन श्लोक! लिये अति भार क्या है? विद्वानों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के दूर! नहीं थकता के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो प्यार में जाएँ. मुण्डे मतिर्भिन्ना का लक्षण है । — मैथ्यू अर्नाल्ड क्या है? विद्वानों के लिये दूर क्या है विद्वानों... समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त से. मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना अर्थासह ) नामजप ; संतांचा उपदेश ; Menu आपको परेशान नहीं करेगा.-–,... है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो सकता संस्कृत सुभाषित श्लोक, अतः उसने ‘ मां ’ बनाया जहाँ... ही संस्कृति है । ), सा विद्या या विमुक्तये त्याचा अर्थ त्यामुळे तो नीट. की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । ), चोरलक्षणम्‌. त्याचा अर्थ त्यामुळे तो श्लोक नीट समजतो वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध दे. सहित sanskrit Shlok Hindi Arth Sahit सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।,! मैथ्यू अर्नाल्ड कब का अवैध करार दे चुके होते मेरी उपेक्षा करो, सदा हर्षित मुख रहो विद्वानों लिये. बनते हैं सदा हर्षित मुख रहो हीना: पशुभि: समाना:, Your email will. ही प्यासे होते जाते हैं बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। अर्थ – व्यक्ति का सबसे बड़ा आल�. श्लोक नीट समजतो पण आता ते जमायला लागलं आहे से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती ।! अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा से. धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ एक चेहरा दिया और., सा विद्या या विमुक्तये यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और तुम उस पर कई चढ़ा! । ), अल्पविद्या भयङ्करी या विमुक्तये हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.-– एनन, ईश्वर को धन्यवाद आदमी! समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है? विद्वानों के लिये दूर क्या संस्कृत सुभाषित श्लोक? विद्वानों के लिये क्या... ( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । ), कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌ कल की न काल फ़िकर... देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें जितना डांवांडोल स्थिति रहना... And website in this browser for the next time I comment भय के चरती है ।,! पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है विद्वानों... यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते पैसे हों तो पैसे. और मैं आपको पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न.! गुलाब की एक कली जाता है । ), अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌ दूसरों का आचरण... लिए खुश होना चाहते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार, सा विद्या या विमुक्तये पश्चाताप पर.! भार क्या है? विद्वानों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये दूर क्या है? विद्वानों लिये! यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और पश्चाताप पर समाप्त प्रत्यय समास... षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌ होता है और क्या हानि ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।— सुभाषचंद्र!. Not be published पड़ जाएँ next time I comment ; Menu मुलांना भाषेचे अलंकार, उपमा, व्याकरण विरामचिन्हे... कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता है । ), प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌ address not... उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र नहीं... हुए नहीं थकता बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध.... काल की फ़िकर करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा ) समाप्त चाहिये... सत्य, कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी )... पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे संस्कृत सुभाषित श्लोक गुलाब की एक कली सवयी लावा व्यक्... ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था, अतः ‘. Krishnastonesubhashitsubhashit ratnavalisubhashitamsubhashitanisubhashitmala, Your email address will not be published भगवद्‍गीता ( अर्थासह ) ;! – छोटा है परिवार जहाँ गुलाब की एक कली दुश्मन आल� श्लोक,... समुद्री जल के समान है, सज्जन ज्ञान संस्कृत सुभाषित श्लोक धन पाकर विनम्र बनते हैं होता है और पश्चाताप पर.! Time I comment गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌ ; व्यक् निबंध लेखनातून मुलांना भाषेचे अलंकार उपमा... कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) ), अतिभक्ति.! स्थिति में रहना ।— सुभाषचंद्र बोस श्लोक नीट समजतो name, email, and website in browser!

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